क्रिस्टल तन्त्र व क्रिस्टल जालक किसे कहते है? क्रिस्टलीय तन्त्र के प्रकार

क्रिस्टल जालक व क्रिस्टलीय तन्त्र कितने प्रकार के होते है? ये सब कुछ जानेगे इस आर्टिकल में क्रिस्टल तन्त्र ब्रेविस के अनुसार केवल सात प्रकार के क्रिस्टलीय तन्त्र होते है (i) घनीय (ii) चतुष्कोणीय (iii) विषमलम्बाक्ष (iv) त्रिकोणीय (v) षट्कोणीय (vi) एकनताक्ष (vii) त्रिनताक्ष https://akashlectureonline.com/unit-cell-chemistry/ सात प्रकार के क्रिस्टलीय तन्त्र में 14 प्रकार के ब्रेविस जालक होते है |

आयनिक ठोसों की संरचना

धन तथा ऋणायनों से बने आयनिक यौगिक इस प्रकार व्यवस्थित होते हैं ताकि न्यूनतम विभव ऊर्जा (अधिकतम स्थायित्व) प्राप्त कर सकें। अधिकतम स्थायित्व प्राप्त करने के लिए किसी क्रिस्टल में ऑयन इस प्रकार व्यवस्थित होने चाहिएं कि आकर्षण बल अधिकतम तथा प्रतिकर्षण बल न्यूनतम हों। इसलिए, अधिकतम स्थायित्व के लिए विपरीत आवेशित ऑयन एक दूसरे से अधिकतम सम्भावित निकट होने चाहिएं तथा समआवेशित ऑयन एक दूसरे से अधिकतम सम्भावित दूरी पर होने चाहिएं।  
द्विगुणित* * यौगिक बनाने वाले दो ऑयनों में, दीर्घ ऑयन (सामान्यतः ऋणायन) एक निबिड़-संकुलन (hcp या ccp) बनाते हैं तथा लघु ऑयन (सामान्यतः धनायन) अन्तरालीय रिक्त स्थान प्राप्त करते हैं। इस प्रकार प्रत्येक आयनिक यौगिक में, धनायन, ऋण ऑयनों से घिरे रहते हैं तथा ऋण आयन, धनायनों से घिरे होते हैं। सामान्यतः प्रत्येक ऑयन विपरीत आवेशित ऑयनों की सबसे बड़ी सम्भावित संख्या द्वारा घिरा होता है। प्रत्येक ऑयन के चारों ओर उपस्थित विपरीत आवेशित ऑयनों की यह संख्या इसकी समन्वय संख्या (coordination number) कहलाती हैं। किसी यौगिक के धन तथा ऋणायनों की समन्वय संख्याएं समान होती हैं जब दो प्रकार के ऑयन संख्या में समान होते हैं (जैसे NaCl, ZnS, आदि)। दूसरी ओर, जब किसी आयनिक यौगिक में धन तथा ऋणायनों की भिन्न संख्या होती हैं (जैसे CaCl2  Na2S, आदि में), तो धन तथा ऋणायनों की समन्वय संख्याए भिन्न होती हैं। उदाहरण के लिए, CaCl, में, चूँकि Crऑयन Ca2+ ऑयनों से दुगुनी संख्या में होते हैं, इसलिए कैल्सियम ऑयनों की समन्वय संख्या क्लोराइड ऑयन की समन्वय संख्या से दुगुनी होती है। आयनिक क्रिस्टलों की ज्यामितीय आकृति तथा समन्वय संख्या आयनों के सापेक्षिक आकार पर निर्भर करती है। क्रिस्टल जालक में धनायनों की त्रिज्या तथा ऋणायनों की त्रिज्या को अनुपात त्रिज्या अनुपात कहलाता है। त्रिज्या अनुपात = ————————————– आयनिक ठोस में सामान्यतः प्रदर्शित समन्वय संख्या 3,4, 6 तथा 8 है। नीचे दी गई सारणी में कुछ आयनिक यौगिकों में त्रिज्या अनुपात, समन्वय संख्या तथा ज्यामितिय आकृति में संबंध दर्शाया गया है।

(a) क्रिस्टल संरचना पर दाब का प्रभाव :

क्रिस्टलीकरण के दौरान दाब बढ़ाने पर समन्वय संख्या बढ़ती है। उदाःउच्च दाब लगाने पर 6 : 6 समन्वय संख्या वाली NaCl क्रिस्टल संरचना 8:8 समन्वय संख्या वाली CSCI संरचना में परिवर्तित हो जाता है।

(b) क्रिस्टल संरचना पर ताप का प्रभाव :

ताप बढ़ाने पर समन्वय संख्या घटती है। उदा : 760 K, ताप तक गर्म करने पर Cscl क्रिस्टल संरचना (समन्वय संख्या 8 : 8) NaCl क्रिस्टल सरचना (समन्वय संख्या 6:6) में परिवर्तित हो जाती है।
क्रिस्टलों में संकुलन एवं रिक्तियां (1) क्रिस्टलों में संगठनों का संकुलन – अधिकतर धातु तीन मुख्य संरचनाओं में से किसी एक में क्रिस्टलित होती है। (i) षट्फलकीय बन्द संकुलित (hexagonal close packed; hcp) संरचना (ii) घन-बन्द संकुलित (cubicclose packed; ccp), संरचना (iii) पिण्ड-केन्द्र घन (bcc) संरचना।
  1. षट्फलकीय बंद संकुलित संरचना (hcp): इस अवस्था में, परमाणु एक दूसरे के समानन्तर रखे दो षट्फलकों के कोनों तथा केन्द्र पर स्थित होते हैं; दो तलों के बीच समानन्तर तल में तीन अन्य परमाणु स्थित होते हैं। hcp व्यवस्था की निम्न मुख्य विशेषतायें होती हैं:-
(i) यहाँ प्रत्येक परमाणु अन्य 12 परमाणुओं द्वारा घिरा होता है तथा उनकी समन्वय संख्या 12 कही जाती है। (ii) इसमें 6-फोल्ड सममिता अक्ष होता है। (iii) इस प्रकार का संकुलन सतहों का ABAB AB…… तरह की व्यवस्था देता है जिससे पता चलता है कि विषम संख्या वाली सतह एक जैसी है तथा समसंख्या वाली (समान्तर तलों के समुच्चयों सतह एक जैसी को प्रदर्शित करते हुये) (iv) परमाणुओं की hcp व्यवस्था, 74% स्थान को घेरती है तथा इस प्रकार 26% स्थान खाली रहता है। (v) इसमें समान्तर बन्द संकुलित सतहों का केवल एक समुच्चय होता है। अतः hcp संरचना में ccp के सापेक्ष एक सतह का दूसरी पर फिसलने के अवसर कम हैं। hcp संरचना Be, Cd, Li, Mg, Zn, Ce, Zr, Os तथा Ru में पायी जाती है।

अध्याय 1 ठोस अवस्था  Unit 1 Solid State 

ठोस अवस्था,  ठोसो के प्रकार, विशेषताएँ
सम दैशिकता व विषम दैशिकता किसे कहते है?
इकाई सेल – सरल घनीय, फलक केन्द्रित घनीय संरचना
ठोसों में दोष | रससमीकरणमितीय दोष | शॉट्की दोष | फ्रेन्कल दोष
ठोसों के विद्युतीय गुण | P-N प्रकार के अर्धचालक, चालक, कुचालक